भगन्दर (Fisula in ano) और क्षार सूत्र के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न :


क्षार सूत्र उपचार क्या है?

क्षार सूत्र उपचार एक पारंपरिक आयुर्वेदिक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसका उपयोग भगन्दर के इलाज के लिए किया जाता है| क्षार सूत्र उपचार में एक विशेष रूप से तैयार धागे का उपयोग होता है जिसे क्षार सूत्र कहा जाता है। यह धागा कई हर्बल और क्षारीय पदार्थों से बना होता है, जो इसे शक्तिशाली औषधीय गुण प्रदान करते हैं। क्षार सूत्र को स्नूही (euphorbia neriifolia) पौधे और स्फटिक (फिटकरी) से प्राप्त लेटेक्स के मिश्रण से बार-बार लेप करके तैयार किया जाता है। फिर धागे को सुखाया जाता है और कीटाणुरहित किया जाता है, जिससे यह चिकित्सा उपयोग के लिए उपयुक्त हो जाता है।

यह प्रक्रिया भगन्दर के ओपनिंग को पहचानने और उसमे क्षार सूत्र (धागे) को धीरे धीरे डालने से शुरू होती है। धागे को तब तक सावधानीपूर्वक मार्ग में पिरोया जाता है जब तक कि इसका दूसरा सिरा गुदा नलिका या मलाशय के आंतरिक उद्घाटन से बाहर न आ जाए। बाहर आने के बाद क्षार सूत्र को बाँध दिया जाता है क्षार सूत्र अपनी जगह पर बना रहता है, और समय के साथ, यह भगंदर मार्ग को काटने, ठीक करने और उपचार करने में सहायता करता है।

क्षार सूत्र के औषधीय गुण स्वस्थ टिश्यूओं (Tissue) के विकास को बढ़ावा देने, अस्वस्थ टिश्यूओं (Tissues) को साफ करने और संक्रमण को खत्म करने में मदद करते हैं। यह प्रक्रिया अंततः भगन्दर के रास्ते को प्राकृतिक रूप से बंद कर देती है , जिससे यह स्थायी रूप से ठीक हो जाता है।

क्षार सूत्र उपचार आम तौर पर एक बाह्य रोगी सेटिंग में किया जाता है,इसका मतलब यह है कि आप को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है, आप क्लिनिक में आएंगे और क्षार सूत्र डालने के बाद आप घर जा सकते हैं। आपको ये जानकर आश्चर्य होगा की आप जितना चलेंगे या टहलेंगे आप का भगंदर उतना ही जल्दी ठीक होगा। ये इस थिरैपी का सबसे बड़ा फ़ायदा है |

इस थिरैपी से ठीक होने के बाद आप प्राकृतिक रूप से ठीक हो जाते हैं/इसका मतलब है कि आप पहले की तरह अपना जीवन यापन कर सकते हैं, अगर आप पर मालत्याग का दबाव (Pressure)आता है तो आप उसे रोक सकते हैं। टट्टी को रोकने वाला गुदाद्वार छल्ला (Ring) इस थिरैपी के द्वारा काटा नहीं जाता है | ये थिरैपी केवल और केवल भगंदर के खराब नस (Track) से खराब टिश्यू को ठीक करता है और उसको भरता है| अत: ठीक होने के बाद भगंदर होने का मौका (Chance) बहुत ही कम होता है| वही अगर आप मॉडर्न एलोपैथी से भगंदर का इलाज या सर्जरी करवाते हैं तो इसके दो मुख्य ख़राबिया (Side Effect) हो सकती हैं|

  • पहला: आप के टट्टी या मालत्याग के दबाव को रोकने की क्षमता ख़तम हो जाती है जब की क्षार सूत्र थिरैपी में ये संभावना होती ही नहीं है |
  • दूसरा :आप को भगंदर दोबारा हो सकता है| जब की क्षार सूत्र थिरैपी में ये संभावना बहुत ही नगण्य होती है जब डॉ सत्यराम क्षार सूत्र पर रिसर्च कर रहे थे तो 10 साल के अध्ययन में पाया गया कि क्षार सूत्र से ठीक हुए 99.7% लोगो को कभी भी भगंदर दोबारा हुआ ही नहीं /

लेकिन अगर आप क्षार सूत्र एक योग्य और अनुभावी डॉक्टर (डॉ सत्यराम) से कराते हैं तो उपरोक्त दोनों की संभावनाएं बहुत ही न्यूनतम या न के बराबर होती हैं।

क्षार सूत्र पद्धति की सफलता दर क्या है?

भगंदर (Fistula) के लिए क्षार सूत्र उपचार की सफलता दर लगभग 99.7% है, ये सफलता दर डॉक्टर सत्यराम द्वारा किया गए 10 साल के रिसर्च में पाया गया है।

क्षार सूत्र से ठीक होने में कितना समय लगता है?

क्षार सूत्र से ठीक होने का समय कई कारको पर निर्भर करता है जैसे रोगी का स्वास्थ्य, भगंदर की जटिलता और उसका प्रकार फिर भी सामान्यतया कम जटिल भगंदर में तीन से छह हफ्ते का समय लग सकता है/

क्या क्षार सूत्र से इलाज़ के बाद घर पर आराम करना पड़ता है?

नहीं , आप क्षार सूत्र से इलाज़ के दौरान या क्षार सूत्र डलवाने के बाद जितना चलेंगे आप का भगन्दर उतना ही जल्दी ठीक होगा /

क्षार सूत्र के इलाज़ का कितना खर्च आता है?

क्षार सूत्र के इलाज का खर्च लगभग 15,000 रुपये से 25,000 रुपये के बीच हो सकता है

क्या क्षार सूत्र उपचार मॉडर्न एलोपैथी सर्जरी से बेहतर है?

भगंदर (Fistula) के लिए क्षार सूत्र उपचार और पारंपरिक सर्जरी के बीच चुनाव कई कारकों पर निर्भर करता है, जिसमें फिस्टुला का प्रकार और जटिलता, रोगी का समग्र स्वास्थ्य और सर्जन की विशेषज्ञता शामिल है। क्षार सूत्र और सर्जरी दोनों के अपने फायदे और सीमाएं हैं, और जिसे "बेहतर" माना जा सकता है वह एक मामले से दूसरे मामले में भिन्न हो सकता है।

क्षार सूत्र उपचार के लाभ:

1. उच्च सफलता दर: भगंदर के लिए क्षार सूत्र उपचार की सफलता दर उच्च है, विशेष रूप से जटिल फिस्टुला या उन लोगों के लिए जो पिछले उपचार में विफल रहे हैं।

2. न्यूनतम चीड़ फाड़ (minimally invasive) : क्षार सूत्र उपचार पारंपरिक सर्जरी या मॉडर्न एलोपैथी सर्जरी की तुलना में बहुत ही कम चीड़ फाड़ वाली प्रक्रिया है। इसमें बिना बड़ा चीरा लगाए भगंदर के मार्ग में एक धागा डाला जाता है।

3. बाह्य रोगी प्रक्रिया: क्षार सूत्र उपचार आमतौर पर बाह्य रोगी के आधार पर किया जाता है, और अधिकांश रोगी उसी दिन घर लौट सकते हैं।

स्थानीय एनेस्थीसिया (local anesthesia): यह प्रक्रिया आम तौर पर स्थानीय एनेस्थीसिया के तहत की जाती है, जिससे सामान्य एनेस्थीसिया से जुड़े जोखिम कम हो जाते हैं। वही पारंपरिक सर्जरी या मॉडर्न एलोपैथी सर्जरी में आप को फुल एनेस्थीसिया दिया जाता है जिसमे आप के जिंदगी को ज्यादा जोखिम होता है |

हर्बल औषधि: क्षार सूत्र धागे को हर्बल पदार्थों से उपचारित किया जाता है, जिसमें रोगाणुरोधी गुण होते हैं और भगंदर को ठीक करने में सहायता मिलती है।

मल या टट्टी न रोक पाने का कोई जोखिम नहीं: सर्जिकल प्रक्रियाओं की तुलना में क्षार सूत्र उपचार के साथ मल या टट्टी न रोक पाने का कोई जोखिम नहीं होता है।

पारंपरिक सर्जरी के लाभ:

1. तत्काल बंद करना: सर्जरी से फिस्टुला को तुरंत अस्थायी रूप से बंद किया जा सकता है, जब की क्षार सूत्र के मामले में थोड़ा ज्यादा समय लगभग तीन से छह हफ्ते लगते है। भगंदर (Fistula-in-ano) के लिए पारंपरिक सर्जरी की सफलता दर निम्न है, इससे इलाज करवाने के बाद भगन्दर के दोबारा होने की संभावना ज्यादा होती है।

2. एक बार की प्रक्रिया: ज्यादातर मामलों में, सर्जरी के लिए एक ही प्रक्रिया की आवश्यकता होती है, जबकि क्षार सूत्र में कई हफ्तों तक कई सत्र शामिल हो सकते हैं।

अंततः, क्षार सूत्र उपचार और पारंपरिक सर्जरी के बीच निर्णय रोगी को अपने डॉक्टर से विचार विमर्श के बाद करना चाहिए। कुछ मरीज़ क्षार सूत्र उपचार के लिए बेहतर उपयुक्त हो सकते हैं, जबकि अन्य को सफल परिणाम के लिए सर्जिकल हस्तक्षेप की आवश्यकता हो सकती है। सर्जन की विशेषज्ञता और मरीज की प्राथमिकताएं भी सबसे उपयुक्त उपचार दृष्टिकोण निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

क्या भगंदर (Fistula-in-ano) को हमेशा के लिए ठीक किया जा सकता है?

हां, उचित और प्रभावी उपचार से भगंदर को स्थायी रूप से ठीक किया जा सकता है। भगंदर एक ऐसी स्थिति है जहां गुदा नलिका या मलाशय और गुदा के आसपास की त्वचा के बीच एक असामान्य सुरंग या पथ या छेद बन जाता है। उपचार का प्राथमिक लक्ष्य इस भगन्दर के मार्ग (fistulous track) को बंद करना और पूर्ण उपचार को बढ़ावा देना है।

क्षार सूत्र का दुष्प्रभाव क्या है?

क्षार सूत्र उपचार एक सुरक्षित और प्रभावी चिकित्सा पद्धति है, लेकिन किसी भी चिकित्सा प्रक्रिया की तरह, इसके कुछ संभावित दुष्प्रभाव और जोखिम हो सकते हैं। क्षार सूत्र उपचार के सामान्य दुष्प्रभावों में शामिल हैं:

1. सामान्य दर्द और असुविधा: प्रक्रिया के दौरान और बाद में, रोगियों को क्षार सूत्र लगाने की जगह पर हल्के से मध्यम दर्द या असुविधा का अनुभव हो सकता है। यह प्रक्रिया के प्रति एक सामान्य प्रतिक्रिया है और आमतौर पर समय के साथ ठीक हो जाती है।

2. रक्तस्राव: क्षार सूत्र प्रक्रिया के दौरान या उपचार के बाद शुरुआती दिनों में कुछ रक्तस्राव हो सकता है। हालाँकि, अत्यधिक रक्तस्राव दुर्लभ है और उपचार करने वाले चिकित्सक द्वारा इसे प्रबंधित किया जा सकता है।

3. संक्रमण: जिस स्थान पर क्षार सूत्र डाला जाता है उस स्थान पर संक्रमण का खतरा रहता है। हालाँकि, क्षार सूत्र के औषधीय गुण, जिसमें रोगाणुरोधी जड़ी-बूटियाँ शामिल हैं, संक्रमण की संभावना को नगण्य करने में मदद करते हैं।

4. एलर्जी प्रतिक्रियाएं: कुछ मामलों में, व्यक्ति क्षार सूत्र धागा तैयार करने में उपयोग किए जाने वाले पदार्थों के प्रति संवेदनशील या एलर्जी हो सकते हैं, जैसे स्नूही (यूफोरबिया नेरीफोलिया) पौधे से लेटेक्स या फिटकरी। एलर्जी की प्रतिक्रिया त्वचा में जलन या दाने के रूप में प्रकट हो सकती है।

पुनरावृत्ति: हालांकि क्षार सूत्र उपचार का उद्देश्य भगंदर (Fistula) को स्थायी रूप से बंद करना है, फिर भी बहुत ही कुछ मामलों में पुनरावृत्ति की संभावना बनी रहती है। उपचार की सफलता भगंदर (Fistula) की जटिलता और रोगी के समग्र स्वास्थ्य जैसे कारकों पर निर्भर करती है।

रेक्टल स्टेनोसिस (Rectal Stenosis): दुर्लभ मामलों में, अत्यधिक घाव और ऊतक (Tissues) संकुचन से रेक्टल स्टेनोसिस हो सकता है, जहां गुदा या मलाशय मार्ग संकीर्ण हो जाता है। इससे मल त्यागने में कठिनाई हो सकती है।

जटिलताओं के जोखिम को कम करने के लिए एक योग्य और अनुभवी आयुर्वेदिक चिकित्सक (Doctor) द्वारा क्षार सूत्र उपचार कराना आवश्यक है। मरीजों को उचित उपचार सुनिश्चित करने और दुष्प्रभाव (Side effect) की संभावना को कम करने के लिए प्रक्रिया के बाद देखभाल निर्देशों का परिश्रमपूर्वक पालन करना चाहिए। यदि उपचार के बाद कोई असामान्य लक्षण या चिंता उत्पन्न होती है, तो रोगियों को तुरंत अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक (Doctor) से परामर्श लेना चाहिए।
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